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जीवन की अनिश्चितताएं एवं कोरोना प्रभाव

पिछले  ७   महीनो  से  पूरे  विश्व   में  और  लगभग  ५   महीनो  से  भारत   में  जो  वातावरण  बना  हुआ  है  कोरोना  विषाणु  के  प्रकोप  से , वह  मेरे  पिछले  लेख  "जीवन  की अनिश्चितताएं " का  ही  कदा  चित  यथार्थ  रूप  है  और  यह  घटनाक्रम  इसको  सिद्ध  भी  करता  है। जिस  भी  पीढ़ी  का जन्म द्वितीय  विश्व  युद्ध (1939) के  बाद  हुआ  है  उनके  लिए  संभवतया  ऐसा  संकट  और  ऐसा  एकाकीपन  वाला  माहौल  पहली  बार  ही  बन  रहा  है , और  इस  माहौल  में  हमारी  ताज़ा  तरीन  युवा  पीढ़ी  को  सबसे  ज्यादा  एकाकीपन  और  अवसाद  का  सामना  करना  पड़ रहा  है  कियो...